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शुक्रवार, 27 मार्च 2009

सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्में...

मित्रों, मैं पिछले दिसम्बर से 100 सबसे ज़्यादा देखे जाने वाली हिंदी फिल्म्स् की सूची बनाने में लगा हुआ हूँ.और पिछले तीन माह का अनुभव बताता है कि यह सूची 100 से ऊपर भी जा सकती है,पर मैं एक अनुशासन बनाये रखने को प्रतिबद्ध हूँ.अभी जब संजीव सारथीजी का ब्लॉग पर लेख पढ़ रहा था तो मुझे लगा की मेरे जैसे और भी लोग हैं जो इस तरह के कार्य में संलग्न हैं.यह अच्छी बात नहीं,वरन बहुत ही सुखद बात है. हिंदी सिनेमा ने हमे बहुत गहरे तक छुआ है और यही वह सिनेमा है जो हिकारत की नज़रों से भी देखा गया है.मुझे अक्सर सुनने को मिलता रहा है कि तुम जैसे लेखक को-बुद्धिजीवी को सिनेमा पर नहीं लिखना चाहिए.मैंने उनसे पूछता हूँ कि क्या हिंदी सिनेमा इतना दोयम दर्ज़े का है कि उस हम जैसे लोगों को बात नहीं करना चाहिए,तो फिर उन असंख्य दर्शकों का क्या,क्या वह भी दोयम दर्ज़े के हैं.क्या दोयम दर्ज़े के लोगों द्वारा दोयम दर्ज़े के लोगों के लिए ही सिनेमा है? अगर ऐसा है तो फिर आस्कर की और हम सब इतना लालायित क्यों हो जाते हैं.क्यों सब के सब इतना बौरा जाते हैं कि आस्कर दुनिया का सबसे बड़ा सच हो जाता है?
पर ऐसा है नहीं और तथाकथित-कतिपय लोगों को ऐसा लगता भी है तो यह उनकी अपनी समस्या है.मुझे तो सिनेमा से प्यार है और वह भी अव्वल दर्ज़े का.तो बात हो रही थी सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म्स् कि तो सारथीजी के लेख में जिन फिल्म्स् का नाम है,उनमें से मैं एक फिल्म."हम आपके हैं कौन" को छोड़कर बाकी सभी पर सहमत हूँ.अंत में विनोदजी ने एक समीक्षक की पसन्द की जिन फिल्म्स् की सूची दी,वह सभी ऐसी फिल्म्स् हैं,जिनके बारे में मेरा मत यह है कि जिसे भी फिल्म्स् की ज़रा-सी भी समझ हो और लिखने का हुनर तथा कला के प्रति अनुराग-आग्रह,वह इन फिल्म्स् को जगह देगा ही. इनमें भी "नीचा नगर" को हम विश्व-सिनेमा की कालजयी कृति कह सकतें हैं.यहाँ में एक और नाम जोड़ना चाहूगां,"दो बीघा ज़मीन". "बायसिकल थीफ" जो सम्मान विश्व-सिनेमा में हासिल है,"दो बीघा ज़मीन" उससे कहीं ज़्यादा सशक्त कृति है."गर्म हवा" अपना जो विशेष प्रभाव छोड़ती है,वही विशेष प्रभाव हम एक लम्बे गेप के बाद "पिंजर" में भी महसूस करते हैं.अपने सशक्त अभिनय से उर्मिला मार्तोंडकर फिल्म-इतिहास में अपना पन्ना जोड़ने में सफल रहीं हैं.लेकिन ध्यान रहे की फिल्म्स् की समीक्षा और समीक्षक फिल्म्स् अलग-अलग चीजें हैं.अंतर बहुत बड़ा नहीं है,बस रेशम और कोसा जैसा है.यहाँ भी प्रश्न खड़े किये जा सकते हैं कि आखिर कौन-सी फिल्म्स् समीक्षा के लिए हैं और समीक्षक की फिल्म्स् कौन-सी हो सकती हैं.मेरे लिए दस सर्वश्रेष्ठ फिल्म्स् चुनना थोडा मुश्किल काम होगा,हाँ दस-दस श्रेष्ठ फिल्म्स् की दस अलग-अलग सूचियाँ बना सकता हूँ.फिलहाल मेरी पहली सूची कुछ यूँ होगी -
१. अछूत कन्या,
२. दुनिया न माने,
३. आवारा,
४. मदर इंडिया.
५.मुझे जीने दो,
६. गाइड,
७.पाकीजा,
८.बाबी
९.शोले,
१०.जाने भी दो यारों.

- शेष फिर.....!

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