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रविवार, 3 अक्तूबर 2010

भारत के आज के सबसे बुरे चेहरे

भारत के आज के सबसे बुरे चेहरे

भारत में आज कुछ लोग और कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्होंने भारत की छबि बनाने की जगह आज भारत की छबि को दुनिया के सामने तो दाग़दार बनाया ही है साथ हम भारतवासियों को भी असीम दुःख दिया है.यह लोग और यह कार्य ऐसे हैं,जिन्हें उन लोगो के भरोसे पर छोड़ दिया गया या ऐसे लोगो को यह जिम्मेदारी सौपीं गई जिन्हें ईश्वर ने एक अवसर दिया था इतिहास के पन्नों में सदैव के लिए एक सच्चे राष्ट्रभक्त-एक सच्चे हीरो की तरह दर्ज़ होने का,लेकिन यह लोग चूक गए और दूसरी तरफ हमने कुछ ऐसे लोगो को दण्डित किया या उन्हें उनके कामों से बेदखल किया जिन्होंने अपने कामों से न केवल भारत में वरन विश्व में भी भारत की शानदार शक्तिशाली छबि पेश की थी और यह वो लोग थें जिन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई का एक पैसा भी नहीं खाया,पर प्रचार ऐसे किया गया कि यह तो राष्ट्रद्रोही हैं.यह है हमारे तंत्र का दोहरा चेहरा और हमारा भोलापन कि हम आज भी सही और गलत की पहचान नहीं कर पा रहे हैं.
आज मैं भारत के सबसे बुरे चेहरे आप लोगों के सामने रख रहा हूँ और इनसे परे मैं जिन लोगों की बात कर रहा हूँ उन्हें आपको पहचान कर मुझे बताना है.देखते हैं कि हमारे विचार यहाँ कितने मिलते हैं.....तो प्रस्तुत है भारत के आज के सबसे बुरे चेहरे.
१. सुरेश कलमाड़ी,
२. शरद पवार,
३. के.पी.एस.गिल,
४. जवाहर लाल नेहरु शहरी नवीनीकरण योजना (JNNRUM ),
५. महात्मा गाँधी ग्रामीण रोज़गार योजना (मनरेगा),
६. रेड्डी बंधु,
७. राज ठाकरे,
८. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना,
९. ए.राजा
१०.नीरा राडिया

कविता, "कोई तुम-सा....,"

कोई तुम-सा....,

कोई तुम-सा,
रात स्वप्न में आकर छेड़ जाता है मुझे,
ख्यालों में हलचल मचा जाता है,
दिन भर काम में डूबे रहने के बाबजूद भी-
अचानक विचारों की एक श्रंखला बना जाता है,
शाम के डूबते सूरज के आगे बादल बन आ जाता है वो,

पता नहीं और मैं जानता भी नहीं-कि /
कौन है वो और -
क्यों इस तरह करता है,

ये शरारत है तो ठीक है,
ये मस्ती है तो ठीक है,
ये उसके जीने का एक आयाम है तो भी ठीक है,
मुझे भी कभी-कभी खुद को यूँ छेड़ा जाना अच्छा लगता है,
चाहता भी हूँ कि यह सिलसिला यूँ ही हर पल चलता रहे,
पर मैं - सीधा-सीधा यूँ तुम्हरी यादों का सामना नहीं कर पाता हूँ,
और -
कहता हूँ,
ये तुम नहीं.......,
कोई तुम-सा है.